जीएसटी में आकस्मिक कर योग्य व्यक्ति (सीटीपी) (Casual Taxable Person under GST- CPT)

कुछ ऐसे भी व्यापारी भा॓ई होते है , जिनका व्यवसाय करने का कोई एक निश्चित स्थान नही होता, वे विभिन्न राज्यो मे घुमते हुए किसी बिल्डिंग को कुछ समय के लिए किराए पर लेकर या किसी होटल मे ठहर कर वे अपना व्यापार करते है। कुछ व्यापारी सीजन के अनुसार व्यापार करते है। ऐसे व्यक्ति को आकस्मिक कर योग्य व्यक्ति कहा जाता है। 

जीएसटी के तहत, "आकस्मिक कर योग्य व्यक्ति" (सीटीपी) वह व्यक्ति होता है जो कभी-कभी माल या सेवाओं के व्यापार में किसी राज्य या संघ शासित प्रदेश में सौदा करता है, जहां उसका कोई स्थायी स्थान नहीं है. 

ऐसी स्थिति तब होती है जब व्यापारी किसी Exhibition मे हिस्सा लेकर अपना माल बिक्री करे,  सीजन के अनुसार बिक्री करे, अथवा उसे किसी  Contract के अंतर्गत दुसरे स्टेट मे जाकर माल या सेवाओ का व्यापार करना पडे। 

CPT


सीटीपी होने की मुख्य शर्तें:

 * अस्थायी उपस्थिति: व्यक्ति का किसी राज्य में केवल अस्थायी रूप से व्यापार करना.

 * कोई स्थायी स्थान नहीं: उस राज्य में कोई कार्यालय, गोदाम या अन्य स्थायी स्थान नहीं होना.

सीटीपी बनने के उदाहरण:

 * एक थोक व्यापारी जो किसी अन्य राज्य में एक प्रदर्शनी में भाग लेने के लिए जाता है.

 * एक सेवा प्रदाता जो किसी अन्य राज्य में एक परियोजना के लिए अस्थायी रूप से काम करता है. जैसे एक आई टी कॉन्ट्रैक्टर ने एक ऐसे राज्य मे अपना प्रोजेक्ट शुरु किया जहाॅ उसका खुद का कोई स्थाई कार्यालय नही था,  और प्रोजेक्ट की अवधि सिर्फ तीन माह की थी। इस कारण उक्त कॉन्ट्रैक्टर ने खुद को सीटीपी के रूप मे रजिस्टर्ड करवाया। 

सीटीपी होने के परिणाम:

 * पंजीकरण: 

सीटीपी को उस राज्य में जहां वे व्यापार करते हैं, वहां अस्थायी रूप से पंजीकरण कराना होता है. इसके लिए व्यापारी को जीएसटी पोर्टल पर जाकर फार्म GST REG-01 भरना होगा और अपने व्यवसाय के बारे मे बताना होगा। 

* डाक्‍युमेंट अपलोड करना- 

व्यापारी को अपना पहचान पत्र, एड्रेस पहचान पत्र, अपने व्यवसाय का प्रकार, बैंकिंग डिटेल इत्यादी पोर्टल पर अपलोड करने होगे। 

* कर का भुगतान: 

उन्हें उन वस्तुओं या सेवाओं पर जीएसटी का भुगतान करना होता है जो वे उस राज्य में आपूर्ति करते हैं. याद रहे,  यह भुगतान आपको अग्रिम करना होगा, भुगतान करने के उपरांत यह आपके जीएसटी क्रेडिट लेजर मे Balance पडा रहेगा। 

* रजिस्ट्रेशन की अवधि और एक्सटेंशन-

सीपीटी के रजिस्ट्रेशन की अवधि 90 दिन की होती है। यदि व्यापारी को इससे ज्यादा दिन के लिए चाहिए तो व्यापारी को इसके लिए वर्तमान रजिस्ट्रेशन के समाप्ति से पहले जीएसटी पोर्टल पर फार्म  REG-11 भर कर सबमिट करना होगा। 

* रजिस्ट्रेशन नंबर की प्राप्ति-

व्यापारी के अग्रिम कर के भुगतान और डाक्यूमेंट के वेरिफिकेशन के बाद तीन कार्य दिवस के अन्दर रजिस्ट्रेशन नंबर प्राप्त हो जाता है। 

* जीएसटी  का फाइनल रिटर्न-

जैसे ही व्यापारी का कार्य उस राज्य मे समाप्त हो जाता है, तब व्यापारी अपना अन्तिम जीएसटी रिटर्न GSTR-10 File करेगा। 

इन सभी स्टेप को फालो कर के आप आसानी से कैजुअल रजिस्ट्रेशन के सारे फायदे उठा सकते है। 

क्यों महत्वपूर्ण है सीटीपी का होना:

 * कर कानून का पालन: यह सुनिश्चित करता है कि सभी व्यापारिक गतिविधियों पर उचित कर लगाया जाता है.

 * राज्य के राजस्व में योगदान: यह राज्य के राजस्व में योगदान देता है.

अतिरिक्त जानकारी:

 * सीटीपी पंजीकरण आमतौर पर 90 दिनों के लिए वैध होता है.

 * यदि कोई व्यक्ति बार-बार किसी राज्य में व्यापार करता है, तो उसे उस राज्य में स्थायी पंजीकरण कराना पड़ सकता है.

सीटीपी के फायदे -

चूंकि आपके पास एक कैजुअल रजिस्ट्रेशन नंबर है, इसलिए जितने दिन तक इसकी वैलिडीटी है   उतने दिनो के लिए आप जीएसटी कानून के अंतर्गत है । यह सुविधा आपको नये- नये मार्केट मे व्यवसाय करने का अवसर प्रदान करती है। 

रेगुलर टैक्सपेयर और कैजुअल टैक्सपेयर मे अन्तर-

1- रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता-

* सीपीटी को किसी राज्य मे जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए वहाॅ किसी विशिष्ट परियजना या आयोजन का उल्लेख करना पडता है।
* रेगुलर को सिर्फ एक निश्चित प्रतिष्ठान के साथ निरन्तर व्यवसाय सन्चालन बताना पड़ता है।

2- कर भुगतान-

* सीटीपी को पंजीकरण अवधि के लिए अनुमानित टर्नओवर के आधार पर अग्रिम कर का भुगतान करना पड़ता है।
* रेगुलर को वास्तविक व्यवसायिक लेनदेन के आधार पर कर भुगतान हर महीने करना पड़ता है। 

3- जीएसटी रिटर्न फाइलिंग-

* सीटीपी को जीएसटी रिटर्न सिर्फ उन्ही दिनो के लिए भरनी पड़ती है जितने दिन उसका रजिस्ट्रेशन रहा है। यह रिटर्न प्रत्येक माह भरनी पड़ेगी। 
 * रेगुलर को अपने टर्नओवर के आधार पर नियमित रूप से मासिक  , त्रैमासिक या वार्षिक रिटर्न दाखिल करनी होती है।

4- रजिस्ट्रेशन की अवधि-

* सीटीपी का रजिस्ट्रेशन अस्थाई होता है,  सामान्यत यह 90 दिनो के लिए होता है। हाॅ, इसका एक्सटेंशन हो सकता है।
* रेगुलर का रजिस्ट्रेशन एक स्थाई रजिस्ट्रेशन होता है, यह तब तक रहता है, जब तक इसे रद्द ना किया जाए। 

5- इनपुट टैक्स क्रेडिट '

* सीपीटी केवल सक्रिय पन्जीकरण अवधि के दौरान उपयोग की गई वस्तुओ और सेवाओ का इनपुट टैक्स क्रेडिट ले सकता है।
* रेगुलर व्यापारी व्यवसाय से सम्बंधित खरीदारी पर लगातार इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा कर सकते है।

6- करअनुपालन बोझ ( Compiance Burden)-

* सीपीटी पर इसका बोझ ज्यादा है  , क्योकि इसमे करो का अनुमान पहले लगाना होता है  , और कम समय सीमा के भीतर उसका अनुपालन करने की आवश्यकता होती है।
* रेगुलर टैक्सपेयर को हर महीने फाइलिंग और फिर बाद मे उसका आडिट कराना, चूंकि ये सभी कार्य रेगुलर होते रहते है, तो एक सिस्टम विकसित हो जाता है, जिससे कोई ज्यादा कठिनाई नही आती है।

7- लचीलापन ( Flaxibility)

* सीपीटी को प्रत्येक राज्य मे रजिस्ट्रेशन कराने की आवस्यकता नही है, सिर्फ उसी राज्य मे और उसी समय कराना पड़ता है, जहा उसका कार्य हो रहा है। 
* रजिस्टर्ड व्यापारी, जिस भी राज्य मे अपना एक निश्चित व्यापारिक स्थान बना रखा है,  हर उस राज्य मे रजिस्ट्रेशन की आवस्यकता होती है।

8- आडिट और स्कुटनी-

* सीटीपी के अस्थाई प्रक्रिति और कम परिचालन अवधि के कारण जांच की कम सम्भावना है।
* रेगुलर को टर्नओवर और अन्य मानदंडो के आधार पर नियमित आडिट, और अधिक बार जांच का सामना करना पड सकता है। 

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