भारत में किराये पर जीएसटी ( GST on Rent)
भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर है जो वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाता है। जबकि किराये की अवधारणा आमतौर पर सेवाओं से जुड़ी होती है, GST के तहत इसका कराधान विभिन्न कारकों के कारण जटिल है। यह ब्लॉग भारत में किराये पर GST की एक स्पष्ट समझ प्रदान करता है, विभिन्न परिदृश्यों और विचार करने के प्रमुख बिंदुओं को शामिल करता है।
किराये पर GST: एक सामान्य अवलोकन
* किराया एक सेवा के रूप में: आम तौर पर, अचल संपत्ति का किराया GST के तहत एक सेवा माना जाता है। इसका मतलब है कि किराया प्राप्त करने वाला (मकानमालिक) प्राप्त किराये पर GST का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होता है।
* छूट और सीमाएं: छोटे पैमाने के मकान मालिकों और किरायेदारों के लिए प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कुछ छूट और सीमाएं मौजूद हैं। ये छूट संपत्ति के प्रकार, किराये की राशि और अन्य कारकों के आधार पर भिन्न होती हैं।
क्या किसी संपत्ति को देने पर जी एस टी लगती है ?
जी एस टी अधिनियम के अनुसार , किसी अचल संपत्ति को किराये पर देना सेवाओं की आपूर्ति के रूप में माना जायेगा। हालाँकि जी एस टी कुछ प्रकार के किराये पर लागु होता है , आइये देखते है की जी एस टी किस संपत्ति पर लागु होगा किसपर नहीं -
* आवासीय संपत्तियां:
* आवासीय मकानों के लिए छूट: किसी व्यक्ति या परिवार द्वारा स्वयं उपयोग या आवासीय उद्देश्यों के लिए आवासीय आवास की आपूर्ति आम तौर पर GST से छूट प्राप्त होती है। 48 वी जी एस टी परिषद् की बैठक में परिषद् ने स्पष्ट किया था कि यदि कोई आवासीय आवास एक पंजीकृत व्यकित को किराये पर आवासीय उद्देश्य लिए देता है तो चुकि यह उसके व्यकितगत उपयोग के लिए किराये पर दिया गया है , इसलिए इस पर जी एस टी नहीं लगेगा। अर्थात यदि कोई सम्पति यदि व्यावसायिक उद्देश्य के लिए किराये पर न देकर आवासीय उद्देश्य के लिए किराये पर दी गई है तो इस पर जी एस टी नहीं लगेगा।
* वाणिज्यिक उपयोग के लिए आवासीय संपत्तियों पर GST: यदि किसी आवासीय संपत्ति का वाणिज्यिक उद्देश्यों (जैसे, व्यवसाय चलाना) के लिए उपयोग किया जाता है, तो प्राप्त किराया GST के अधीन होता है। और इसपर 18% जी एस टी लगेगा , क्योकि इसे सेवा की आपूर्ति के रूप में माना जायेगा।
और यदि आपकी आय तय सीमा से अधिक है तो आपको जी एस टी में रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। हाँ , यह ध्यान रखे की केवल सेवा से आय के अंतर्गत जी एस टी की तय सीमा रुपये 20 लाख है।
* वाणिज्यिक संपत्तियां:
* वाणिज्यिक किराये पर GST: वाणिज्यिक संपत्तियों (जैसे, कार्यालय, दुकान) से प्राप्त किराया आम तौर पर GST के अधीन होता है।
* अल्पकालिक वाणिज्यिक लीज पर GST: अल्पकालिक वाणिज्यिक लीज (जैसे, छह महीने से कम) के लिए, कुछ छूट या सरलीकृत प्रक्रियाएं लागू हो सकती हैं।
* विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZ) में आवासीय संपत्तियों के लिए किराये पर GST:
* शून्य-दर आपूर्ति: SEZ के भीतर स्थित आवासीय संपत्तियों से प्राप्त किराया आम तौर पर शून्य-दर आपूर्ति माना जाता है। इसका मतलब है कि आपूर्तिकर्ता (मकान मालिक) को प्राप्त किराये पर GST का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन प्राप्तकर्ता (किरायेदार) किराए पर ली गई संपत्ति के लिए उपयोग की गई वस्तुओं और सेवाओं पर भुगतान किए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का रिफंड दावा कर सकता है।
विचार करने के प्रमुख बिंदु
* रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM):
कुछ मामलों में, किराया देने वाला (किरायेदार) RCM के तहत GST का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी हो सकता है। इसका मतलब है कि किरायेदार मकान मालिक की ओर से GST का भुगतान करेगा। 54 वीं जी एस टी परिषद् के बैठक में यह निर्णय लिया गया की किसी अपंजीकृत व्यक्ति द्वारा यदि किसी पंजीकृत व्यकित को Commercial Property किराये पर दिया जाता है तो यह Reverse Charge Machanism (RCM) के अंतर्गत माना जायेगा। और GST के भुगतान की जिम्मेदारी किराया देने वाले का होगा , वह इसे पहले Payment करेगा फिर उसका Inpur Credit Claim कर सकता है , हाँ , Composition Dealers इसके इनपुट क्रेडिट को क्लेम नहीं कर सकता है।
इस प्रकार हम देखते है की दिनांक 10 /10 /2024 से कमर्शियल प्रॉपर्टी का किराया पूरी तरह जी एस टी के अंतर्गत आ चूका है , यदि आप रजिस्टरड पर्सन को किराया देते हो तो जी एस टी चुकाना उसकी जिम्मेदारी है. लेकिन यदि वह रजिस्टर्ड पर्सन नहीं है तो आप ( AS A REGISTERED PERSON) उसका GST 18% RCM के अंतर्गत भुगतान करेंगे । और यदि किराया वार्षिक जाता है तो आप दिनांक 10/10/2024 के बाद के दिनों के लिए RCM के भुगतान के लिए जिम्मेदार हो।
* इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC):
व्यवसाय वाणिज्यिक संपत्तियों के लिए किराये पर भुगतान किए गए GST पर ITC का दावा कर सकते हैं। इस ITC का उपयोग उनके व्यावसायिक कार्यों पर GST देनदारी को ऑफसेट करने के लिए किया जा सकता है। यदि आपने जी एस टी का भुगतान RCM के अंतर्गत किया है तो आप भुगतान करने के पश्चात इसके इनपुट टैक्स क्रेडिट का क्लेम कर सकते है।
* GST पंजीकरण:
लागू सीमा से अधिक किराया प्राप्त करने वाले मकान मालिकों को आम तौर पर GST पंजीकृत होना आवश्यक होता है। हाँ , यह ध्यान रखे की केवल सेवा से आय के अंतर्गत जी एस टी की तय सीमा रुपये 20 लाख है।
* GST रिटर्न:
पंजीकृत मकान मालिकों और किरायेदारों को समय-समय पर GST रिटर्न दाखिल करना होगा, जिसमें प्राप्त या भुगतान किया गया किराया और संबंधित GST देनदारी घोषित की जाएगी।
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