सेकेंड-हैंड वाहन की बिक्री पर जीएसटी ( GST ON SALE OF OLD CAR)

सेकेंड-हैंड वाहन की बिक्री पर जीएसटी ( GST ON SALE OF OLD VEHICLE)

हम अपनी इस्तेमाल की हुई वस्तुओ को पुरानी  होने पर बेच देते है और फिर नया ले लेते है , आज हम इस बात की चर्चा करेंगे की ऐसे खरीद बिक्री के लिए जी एस टी अधिनियम में क्या प्रावधान है और इसपर कहा तक हमें छूट मिली हुई है। जीएसटी अधिनियम में सेकेंड-हैंड वाहनों की बिक्री के लिए स्पष्ट प्रावधान हैं। जीएसटी के अंतर्गत केंद्रीय वस्तु या सेवा कर नियमावली 2017 के नियम 32 (5) में यह प्रावधान किया गया है कि  जब सेकेण्ड हैण्ड या पुरानी या प्रयुक्त वस्तुओ की खरीद - फरोख्त करने वाला व्यकित द्वारा कर योग्य आपूर्ति उसी रूप में या ऐसे मामूली फेरबदल के बाद की जाती है , जिससे सम्बंधित वस्तुओं का स्वरुप नहीं बदलता है और जब इस तरह की वस्तुओं पर कोई इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं लिया गया  हो , तब आपूर्ति  मूल्य बिक्री मूल्य और खरीद मूल्य बीच का अंतर होगा।  जी एस टी उपरोक्त बिक्री पर लगेगा या नहीं , यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि विक्रेता जीएसटी के लिए पंजीकृत है या नहीं।

GST ON SALE OF USED CAR

क्या सेकेण्ड हैंड वाहन की बिक्री पर जीएसटी लगेगा ?

इसके लिए हम जीएसटी अधिनियम में वर्णित “ आपूर्ति “ के अर्थ को समझते है , जीएसटी अधिनियम के अनुसार वस्तु  की आपूर्ति का अभिप्राय वस्तुओ और सेवाओं के आपूर्ति के सभी रूप जैसे बिक्री , हस्तांतरण , वस्तु -विनिमय , अदला - बदली , लाइसेंस, किराया, पट्टा या निपटान करना या  विचार पर एक व्यकित के द्वारा उसके  व्यापार को आगे बढ़ाने के प्रयोजन के लिए सहमति देना शामिल है इसमें वस्तुओ का आयात भी शामिल है , इस आपूर्ति के दायरे में बिना प्रतिफल के भी लेनदेन को शामिल करने के व्यवस्था प्रदान की गयी है।

इस प्रकार हम देखते है की जीएसटी अधिनियम में आपूर्ति का अर्थ है-

  • लेन -देन  के बदले में किसी प्रकार का भुगतान , मुआवजा या  लाभ प्राप्त किया जाना चाहिए।
  • लेन -देन किसी कमर्शियल परपज के लिए होना चाहिए।

इस प्रकार हम देखते है की पुरानी कार की बिक्री पर जीएसटी का लगना और कैसे लगना यह विक्रेता की स्थिति पर निर्भर है।

  1. यदि विक्रेता अपंजीकृत (जीएसटी में पंजीकृत नहीं) है और अपनी सेकेण्ड हैंड कार को बेचता है , तो विक्रेता को उस पर जीएसटी नहीं देना होगा।
  2. यदि विक्रेता जीएसटी के अंतर्गत पंजीकृत है , और पुरानी कार के बिक्री का काम करता है , तब वह बिक्री जीएसटी लगा कर करेगा ,

अब हम इसको अच्छे से समझने के लिए हम एक चार्ट का सहारा लेते है -

क्रम संख्या

विक्रेता का उद्देश्य

विक्रेता के पंजीकरण की स्थिति

क्रेता के पंजीकरण की स्थिति

जीएसटी का प्रकार

1

व्यापार

पंजीकृत नहीं है  

पंजीकृत नहीं है

 नहीं लगेगा

2

व्यापार

पंजीकृत नहीं है

पंजीकृत है

आरसीएम लगेगा

3

व्यापार

पंजीकृत है

पंजीकृत नहीं है

जीएसटी लगेगा

4

प्राइवेट

पंजीकृत नहीं है

पंजीकृत नहीं है

नहीं लगेगा

5

गाड़ी विक्रेता

पंजीकृत है

पंजीकृत नहीं है

जीएसटी लगेगा

जब विक्रेता जीएसटी के लिए पंजीकृत हो:

 * मार्जिन योजना:

दिनांक 19/10/2024 को वित्त मंत्रालय के द्वारा मार्जिन योजना के लिए यह स्पष्टीकरण दिया गया है की अधिसूचना संख्या 10/2017 -केंद्रीय कर (दर) , दिनांक 28/06/2017 में सेकंड हैंड या पुरानी वस्तुओं की खरीद -बिक्री करने वाले पंजीकृत व्यक्ति ( जो उप नियम (5) के तहत निर्धारित इस तरह की पुरानी वस्तुओं की बाहर आपूर्ति के मूल्य पर केंद्रीय कर का भुगतान करता है ) द्वारा किसी भी ऐसे आपूर्तिकर्ता से प्राप्त की गई पुरानी वस्तुओं की राज्य के भीतर होने वाली आपूर्ति पर देय केंद्रीय कर से छूट दी गई है।  अर्थार्थ सेकेण्ड हैंड सामान खरीदने या बेचने पर वस्तु एवं सेवा कर ( जीएसटी ) नहीं चुकाना होगा , बशर्ते उसे खरीदी गई कीमत से कम कीमत पर बेचा गया हो।  

जीएसटी अधिनियम 32 (5) में यह प्रावधान किया गया है की जब पुरानी या प्रयुक्त वस्तुओ की खरीद - बिक्री करने वाले व्यक्ति द्वारा कर योग्य आपूर्ति उसी रूप में या ऐसे मामूली फेरबदल के बाद की जाती है , जिससे सम्बंधित वस्तुओ का स्वरुप नहीं बदलता है , और जब इस तरह की वस्तुओ की खरीद पर कोई इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं लिया गया हो , तो आपूर्ति का मूल्य बिक्री मूल्य और खरीद मूल्य के बीच का अंतर होगा। और जहां पर इसका आपूर्ति मूल्य नकारात्मक है , वहां पर जीएसटी नहीं देना होगा।

मान लीजिये आप ने रु 10 लाख की कोई कार 5 वर्ष पहले खरीदी थी , और खरीदने के बाद आपने उसपर इनपुट क्रेडिट नहीं लिया और अब आपने उसे 8 लाख में बेच दी , तो चूँकि आपने इसे घाटे में बेचा है इसलिए इसकी बिक्री जीएसटी के अंतर्गत नहीं आएगी।

लेकिन वही आपने उपरोक्त की खरीद पर इनपुट क्रेडिट लिया था और आप हर साल आयकर अधिनियम की धारा 32 के अंतर्गत मूल्यह्रास ( Depreciation) का दावा भी कर रहे हो तो आपके प्रॉफिट की गरणा , मूल्यह्रास के बाद बची हुई कीमत से होगी।  जैसे उपरोक्त उदहारण में विक्रेता अपनी कार पर हर साल मूल्यह्रास का दावा कर रहा हो और बिक्री के वक्त उक्त कार का मूल्य 6 लाख बचा हो तो दोनों के मूल्य ( विक्रय मूल्य - मूल्यह्रास के बाद  मूल्य ) का अंतर रूपये 2 लाख  पर आपको जीएसटी देना होगा।  

 * इनपुट टैक्स क्रेडिट:

विक्रेता को खरीद पर चुकाए गए जीएसटी का इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने की अनुमति नहीं होती।

जब विक्रेता जीएसटी के लिए अपंजीकृत हो:

 * आरसीएम (रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म):

यदि क्रेता जीएसटी के लिए पंजीकृत है और विक्रेता अपंजीकृत है, तो क्रेता को आरसीएम के तहत जीएसटी का भुगतान करना होगा।

 * क्रेता द्वारा जीएसटी का भुगतान:

क्रेता को बिल पर उल्लिखित मूल्य पर जीएसटी का भुगतान करना होगा और इसे अपने जीएसटी रिटर्न में दिखाना होगा।

यदि क्रेता पंजीकृत है और विक्रेता अपंजीकृत है, इसलिए क्रेता को आरसीएम के तहत जीएसटी का भुगतान करना होगा।

महत्वपूर्ण नोट:

 * जीएसटी दर:

जीएसटी की दर वाहन के प्रकार और अन्य कारकों पर निर्भर करती है।

 * अन्य नियम:

जीएसटी के तहत कई अन्य नियम और शर्तें हैं जो सेकेंड-हैंड वाहनों की बिक्री पर लागू हो सकती हैं।

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