किराये पर टी डी एस की कटौती (TDS on Rent)
क्या आप जानते हैं कि किराए पर भी TDS काटा जाता है?
क्या आप जानते हैं कि किराए पर भी TDS काटा जाता है?
हाँ, यह सही है! भारत में किराए पर TDS यानी टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स का प्रावधान है। यह प्रावधान सरकार द्वारा आयकर वसूली को सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है।
आज हम चर्चा करने जा रहे है की किराये पर टी डी एस की कटौती के क्या – क्या नियम है , किराये पर टी डी एस की दर कितनी है , टी डी एस की कौन सी धारा इस पर लगती है , इन सभी बातों को जानने से पहले हम यह जानते है कि rent अर्थात किराया होता क्या है ? अथवा किराया किसे कहते है ।
किराया किसे कहते है –
किराये का मतलब एक ऐसे सेवा के भुगतान से है
जो कि नीचे दी गई वस्तुयों , सेवाओ जो कि उपपट्टा (sub-lease),
पट्टा (lease),
मकान में रहने के बदले किराया देना (tenancy)
, एक arrangement या
agreement
के तहत अपनी संपत्ति को किसी दूसरे व्यक्ति को इस्तेमाल करने की स्वीकृति प्रदान
करना एवं बदले में एक निश्चित धनराशि लेना ही उपरोक्त वस्तु का किराया कहलाता है ।
ये संपत्ति या वस्तु निम्न है –
1. मकान , भवन (
फैक्टरी का अथवा रिहायशी दोनों )
2. जमीन
3. जमीन जिसे फैक्टरी या रिहायशी उदेश्य के लिए मकान या भवन
बनाने के लिए दिया जाए ।
4. फैक्टरी ( Plant ) जहा पर उत्पादन गतिविधि हो
।
5. मशीन या संयंत्र जैसे फैक्ट्री के काम आने वाले औजार , कंप्युटर
सिस्टम , नेटवर्क्स , अन्य ऐसे समान जो कि एक business चलाने के लिए आवश्यक हो ।
6. मशीनरी
7. फिटिंग
8. फर्निचर
किराए पर TDS क्यों लगाया जाता है?
- कर चोरी रोकना: TDS का मुख्य उद्देश्य आयकर चोरी को रोकना है। जब किराएदार किराए का भुगतान करता है, तो उसे स्रोत पर ही टैक्स काटकर जमा करना होता है। इससे सरकार को नियमित रूप से कर प्राप्त होता रहता है।
- कर प्रशासन को सरल बनाना: TDS से कर प्रशासन प्रणाली सरल हो जाती है। सम्पत्ती के मालिक को अपनी आय पर साल के अंत में एकमुश्त कर नहीं देना होता।
- अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना: TDS से सरकार के पास अधिक धनराशि होती है, जिसका उपयोग देश के विकास के लिए किया जाता है।
किराए पर TDS कब लगता है?
- धारा 194-I: यदि किराया देने वाला एक ऐसा व्यक्ति है, जिसको अपने पिछले वित्तिय वर्ष के आधार पर अपने बुक्स का टैक्स आडिट करवाना अनिवार्य हो, तो ऐसा व्यक्ति या एचयूएफ या कोई अन्य, यदि किराए का भुगतान किसी भी वित्तीय वर्ष मे रु.2,40,000/- या इससै ज्यादा का भुगतान करता है तब वह- जमीन बिल्डिंग या फर्निचर के किराए मे से 10% टीडीएस काट कर भुगतान करेगा। और यदि वह किराया किसी प्लांट या मशीनरी का दे रहा है, इस स्थिती मे वह 2% टीडीएस काट कर भुगतान करेगा।
- धारा 194-IB: यह धारा ऐसे व्यक्ति या एचयूएफ के ऊपर लागू होती है। जिसके लिए अपनी बुक्स का टैक्स आडिट कराना जरुरी ना हो। यदि किसी वित्तीय वर्ष में Individual या HUF व्यक्ति, यदि किसी मकान मालिक को 50,000 से ज्यादा किराया माह वार देता हैं तो वह मकान मालिक को TDS काट कर बाकी रकम का भुगतान करेगा।
किराए पर TDS की दर क्या है?
किराये पर टी डी एस की कटोती उसकी देय तिथि को
ही की जाती है , यदि किराया नामा या अग्रीमन्ट में किराया अग्रिम देने का प्रावधान है तब किराये का महीना
शुरू होते है , किराया बुक करना पड़ेगा और उसी समय आपको उसपर टी डी एस की कटौती
करनी पड़ेंगी . और यदि उसमे प्रावधान महीने के समाप्त होने पर है तो किराया माह की
समाप्ति पर बुक करते है और उसी समय उस पर से टी डी एस की कटौती करते है ,
किराये पर टी डी एस की दर निम्न है –
·
किसी फैक्ट्री ( Plant ) , सहायक यंत्र ( Equipment) या संयंत्र ( Machinery) पर टी डी एस की कटौती की दर है – 2% , इसका आशय है की कुल देय राशि में से
2% की राशि आप काट लेंगे और फिर शेष राशि का भुगतान मकान मालिक को कर देंगे । और
2% को income tax विभाग को challan के साथ जमा कर देंगे ।
·
किसी जमीन , मकान , फर्निचर आदि पर टी डी एस की कटौती की दर
है – 10%
- सामान्य दर: सामान्यतः किराए पर TDS की दर 10%, होती है। कुछ विशेष मामलो मे यह 2% होती है।
- एनआरआई के लिए- यदि आप किराया किसी एनआरआई को दे रहे है तो आप उसपर 30% टीडीएस और साथ ही 4% सेस के साथ कटौती कर के भुगतान करेगे।
किराये पर टी डी एस के कटौती का नियम ( tds Deduction Rules )
उपरोक्त संपत्ति का किराया यदि सालाना रु 2,40,000 से ज्यादा होता है , तब हमे उस किराये कि राशि से उपरोक्त कटौती कि दर से टी डी एस कि कटौती करनी पड़ती है । यह हमे पहले दिन से ही अनुमान लगा लेना है कि उपरोक्त किराया वार्षिक रु 2,40,000 से ज्यादा हो रहा है या नहीं । यानि यदि वह प्रतिमाह रु 20,000/- से ज्यादा हो रहा है तो उसी माह से उसपर टी डी एस कि कटौती कर के भुगतान करना पड़ेगा ।
किराए पर TDS कैसे काटा जाता है?
- फॉर्म 26AS: TDS काटा जाने के बाद, किराएदार को फॉर्म 26AS जारी किया जाता है। इस फॉर्म में TDS की पूरी जानकारी होती है।
- आयकर रिटर्न: किराएदार को अपनी आयकर रिटर्न में TDS की जानकारी देनी होती है।
किराए पर TDS से बचने के तरीके
- 20,000 रुपये से कम का किराया: यदि आप मासिक 20,000 रुपये से कम का किराया देते हैं, तो आपको TDS नहीं काटना होगा।
- आयकर अधिकारी से प्रमाण पत्र: यदि आपकी कुल आय कम है, तो आप आयकर अधिकारी से कम दर पर TDS काटने या TDS न काटने का प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकते हैं।
महत्वपूर्ण बातें
- समय सीमा: TDS काटा जाने के बाद, किराएदार को 30 दिनों के भीतर TDS की राशि सरकार को जमा करनी होती है।
- जुर्माना: यदि आप TDS नहीं काटते हैं या देर से जमा करते हैं, तो आपको जुर्माना देना पड़ सकता है।
निष्कर्ष
किराए पर TDS एक महत्वपूर्ण विषय है। यदि आप किराए पर संपत्ति देते हैं, तो आपको TDS के नियमों का पालन करना आवश्यक है। यदि आपको TDS के बारे में अधिक जानकारी चाहिए, तो आप किसी कर सलाहकार से संपर्क कर सकते हैं।
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