यहाँ पर नाम से ही स्पष्ट है की जब आपको आपके किसी कैपिटल पर गेन मिल रहा हो तो उसे हम कैपिटल गेन कहेंगे , अब आपको कैपिटल गेन का पता कैसे चलेगा ?, जब आप उसको सेल करोगे अथवा उसको ट्रांसफर करोगे तब , तब आपको उसपर वास्तविक गेन का पता चलेगा , अब जब आपको गेन का पता चल गया तो उस गेन पर जो भी टैक्स लगा वह है कैपिटल गेन टैक्स।
यहाँ कैपिटल का अर्थ है हमारी प्रॉपर्टी , जो किसी भी प्रकार का हो सकता है चाहे - आपके बिज़नेस से सम्बंधित हो या आपका व्यक्तिगत संपत्ति हो। इसमें शामिल होते है - घर या मकान , जमीन , मशीन , लीज होल्ड सम्पत्ति , ट्रेड मार्क , पेटेंट , गाड़ी , ज्वेलरी इत्यादि।
लेकिन कुछ सम्पतियों को इससे बाहर रखा गया है जैसे स्टॉक इन ट्रेड , गांव की खेती की जमीन , टी वी , फ्रिज , मोबाईल इत्यादि।
कैपिटल गेन की गणना के लिए संपत्ति को दो हिस्सों में बाँटा गया है -
- लॉन्ग टर्म कैपिटल एसेट्स
- शार्ट टर्म कैपिटल एसेट्स
अब हमें यह देखना है की कौन सी संपत्ति लॉन्ग टर्म कैपिटल असेट्स है और कौन सी शार्ट टर्म कैपिटल एसेट्स है।
इसकी गणना संपत्ति के खरीद और बिक्री के अवधि के बीच के अंतर के आधार पर किया जाता है , और इसका निर्धारण करने के लिए संपत्ति को तीन भागो में बाँटा गया है -
1 .> एक वर्ष से कम अवधि के लिए गणना योग्य संपत्ति -
- सिक्योरिटीज लिस्टेड इन रीकोगनाइएज स्टॉक एक्सचेंज।
- इक्विटी ओरिएंटेड म्यूच्यूअल फण्ड।
- जीरो कूपन बांड
उपरोक्त सम्पत्तियाँ यदि एक वर्ष से कम होल्ड किया गया हो तो इसे शार्ट टर्म कैपिटल गेन कहते है और यदि एक वर्ष से अधिक के लिए होल्ड किया गया हो तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहा जायेगा।
2 .> दो वर्ष से कम अवधि के लिए गणना योग्य संपत्ति -
- अनलिस्टेड शेयर
- इमूवेबल संपत्ति
उपरोक्त सम्पत्तियाँ यदि दो वर्ष से कम होल्ड किया गया हो तो इसे शार्ट टर्म कैपिटल गेन कहते है और यदि दो वर्ष से अधिक के लिए होल्ड किया गया हो तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहा जायेगा।
3 .> तीन वर्ष से कम अवधि के लिए गणना योग्य सम्पत्ति -
उपरोक्त दो के अतिरिक्त यदि कोई अन्य संपत्ति हो तो उसको तीन वर्ष से कम होल्ड किया गया हो तो इसे शार्ट टर्म कैपिटल गेन कहते है और यदि तीन वर्ष से अधिक के लिए होल्ड किया गया हो तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहा जायेगा।
पूंजीगत लाभ की गणना कैसे करें (how to calculate capital gain)
Capital Gain Calculation |
PARTICULARS | AMOUNT |
Full Value of Consideration (FVOC) | 100 |
(-) Expenses incurred in connection of transfer | 10 |
Net Consideration | 90 |
(-) Cost of Acquisition (CDA) | 5 |
(-) Cost of Improvement (COI) | 2 |
Capital gain | 83
|
इसके कैलकुलेशन के लिए पहले फुल वैल्यू ऑफ़ कन्सिडरेशन में से ट्रांसफर के जो भी खर्च होते है उसे हम घटा लेते है। इसके बाद जो भी वैल्यू बचती है उसे हम नेट कंसीडरेशन कहते है , अब नेट कंसीडरेशन में से उसका Acquisition Value घटा देते है। और यदि प्रॉपर्टी में कोई इम्प्रूवमेंट करवाई है तो उस Improvement की Cost भी इसमें से घटा देते है। इस तरह हमें Capital Gain प्राप्त हो जाता है।
Long Term Capital Gain के लिए Cost of Acquisition का Indexation किया जाता है। इसमें Cost of Acquisition की आज की वैल्यू निकाली जाती है। इसे हम Index Cost of Acquisition कहते है , Cost of Acquisition निकलने के लिए हम निम्नलिखित फॉर्मूला प्रयोग करते है -
Cost of Acquisition = Cost Inflation Index of Year of Transfer
Cost inflation index of the year in which asset
was held by the assesses
OR
For the Year of 2001-02, Whichever is later
अर्थार्थ Cost of Acquisition को जिस वर्ष में वर्ष में एसेट्स ट्रांसफर किया है उस वर्ष के Cost Inflation Index से Multiply करेंगे। और जिस वर्ष में उस एसेट्स को ख़रीदा गया था या वर्ष 2001 - 2002 जो भी बाद में हो उसके Cost Inflation Index से Divide कर देंगे।
Capital Gain Tax के बचाव के उपाय -
किसी नई प्रॉपर्टी में निवेश करना-
Section 54 के अंतर्गत यह सुविधा सिर्फ Individual और HUF को प्राप्त है। यह सबसे लोकप्रिय समाधान है, यदि आपने उपरोक्त आय किसी रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी को बेच कर अर्जित की है। तब इस आमदनी से तुरंत ही नया घर खरीद ले, या तीन साल के भीतर नया घर बनवा ले। नया घर प्रॉपर्टी सेल करने के एक साल पहले या तीन साल बाद तक खरीद लेनी चाहिए। और यदि नया घर बनवा रहे है तो यह नया घर तीन साल के अंदर बन जाना चाहिए। यदि Capital Gain 2 करोड़ तक का है तो आप 2 Residential House Property के लिए क्लेम कर सकते है।
शहरी जमींन को बेच कर गांव की जमींन में निवेश करना -
Section 54 B के अंतर्गत यह सुविधा सिर्फ Individual और HUF को प्राप्त है। इसके अंतर्गत यदि आप Urban Property को बेच कर यदि Rural Property खरीदते है , तब आपको Capital Gain पर Exemption मिल जायेगा। याद रहे यह गांव के उसी जमीं पर मिलेगा जिसे 2 वर्ष पहले तक Agricultural के लिए इस्तेमाल किया गया हो ।
सरकारी ब्रांड में निवेश-
Section 54 EC के अंतर्गत यह सुविधा सभी को प्राप्त है। अपने आय को सरकार द्वारा तय ब्रांड में निवेश कर के आप टैक्स छूट प्राप्त कर सकते हैं, इसका दावा करने के लिए उपरोक्त प्रॉपर्टी के बिक्री के छह माह के भीतर सरकारी ब्रांड में निवेश करे, अभी उसकी Locking Period 5 साल है। कुछ बांड निम्न है -
- National Highway Authority of India (NHAI)
- Rural Electrification Corp. Ltd.
- Power Finance Corp Ltd.
- Indian Railway Finance Corp. Ltd.
इस सेक्शन के अंतर्गत 50 लाख तक का Exemption Allow है , और Locking Period 5 साल है। यदि आपने यह ट्रांसफर संपत्ति बेचने के 6 माह के भीतर कर दिया है तब Capital Gain या New Assets की कॉस्ट , दोनों में से जो भी कम होगा वो मिलेगा।
यदि बांड को 5 साल के अंदर Transfer कर दिया गया हो तो Exempted Capital Gain ट्रांसफर के वर्ष में Taxable हो जायेगा।
Residential House में निवेश -
Section 54 F के अंतर्गत यह सुविधा सिर्फ Individual और HUF को प्राप्त है। इसके अंतर्गत आपको जो भी Capital Gain Income हो , उसको यदि तुरंत ही Residential House में निवेश कर दिया जाए , तब आपको Capital Gain पर Exemption मिल जाता है। इसकी गरणा निम्नलिखित तरीके से होगी -
Capital Gain
Cost of New Asset X ----------------------------------------------------------------------
Net Consideration
यह Gain - Long Term होने चाहिए , और संपत्ति बेचने के 2 साल बाद तक खरीद लेने चाहिए। , और यदि नया मकान का निर्माण करना हो तब वह तीन वर्ष के भीतर निर्माण हो जाना चाहिए। और यदि नयी सम्पति खरीद के तीन वर्ष के भीतर Transfer कर दिया जाता है तो उसी वर्ष Exempted amount टैक्सेबल हो जाएगी। Assesses के पास ट्रांसफर के डेट पर एक से ज्यादा मकान नहीं होना चाहिए।
Capital Gain Account Schemes में निवेश-
Capital Gain Account Schemes को सरकार के द्वारा आपके टैक्स बचत के उद्देश्य से लाया गया है। आप अपने Capital Gain को उसी वर्ष अपने सरकारी बैंक मे उपरोक्त खाते में निवेश कर सकते है, हाँ, इस खाते में जमा रकम को आपको तीन वर्ष के भीतर ही इस्तेमाल करना होगा।
नुकसान की भरपाई के लिए-
Mutual Fund या Share में बिक्री से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए आप इस आय को चुन सकते हैं और वह नुकसान आपके Capital Gain के आय में से Adjust हो जाएगा।
Manufacturing Company के Share के जरिए-
रेसिडेंशियल प्रॉपर्टी के बिक्री के फलस्वरुप यदि आपको Capital Gain प्रॉफिट प्राप्त हुई है तो आप इस प्रॉफिट को किसी Manufacturing Company के Shares में निवेश कर के भी Tax बचा सकते है, फिलहाल इसका Limit 50 लाख रुपये तक का है।
महगाई लागत को मकान की लागत में शामिल कर-
Induction में समय के साथ महगाई के कारण घर की कीमत में बढ़ोत्तरी को घर के शुरुआती लागत के साथ Adjust किया जाता है।
Renovation के खर्च को लागत में जोड़े-
यदि आपको मकान में रहते हुए दो साल हो चुके है, तो दो साल तक रहने पर घर के Renovation आदि पर किए गए सभी खर्च घटा कर Capital Gain को कम किया जा सकता है।
Income Tax के Section 54 का लाभ-
अभी हाल ही में आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण ( आई टी ऐ टी ) ने यह स्पष्ट किया है की रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी का विक्रेता तब भी कैपिटल गेन टैक्स में छूट ले सकता है , जब उसने अपनी पुराणी प्रॉपर्टी बेचने से बहुत पहले नया घर खरीदने का एग्रीमेंट किया हो । हालाँकि सेक्शन 54 का लाभ उठाने के लिए कुछ शर्तो का पालन जरुरी है , सबसे पहले बेचीं जाने वाली हाउसिंग प्रॉपर्टी लॉन्ग टर्म कैपिटल एसेट्स के दायरे में होनी चाहिए । दूसरा नया हाउसिंग प्रॉपर्टी या तो घर की बिक्री से एक साल पहले या बिक्री के 2 साल बाद तक खरीदी जानी चाहिए या बिक्री की तारीख से 3 साल के भीतर बनाई जानी चाहिए । यह लाभ इंडिविजुअल या अविभाजित हिन्दू परिवारों को ही मिलता है ।
Long-term Capital Gain की गणना कैसे की जाती हैं Long-term Capital Gain के Calculation के लिए Income tax विभाग ने एक कास्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स ( Cost Inflation Index) बनाया है, जो प्रत्येक वर्ष परिवर्तित होता रहता है, इसमे जो वैल्यू प्रदर्शित होता है उसके आधार पर आपकी संपत्ति पर लाभ या हानि की गणना की जाती है।वर्ष 2023-24 के लिए कास्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स Rs.348 है, जिसे आय कर विभाग ने 13-Apr-2023 को जारी किया है, इस सूची का Base Year 2001-2002 है, जब इंडेक्स Rs 100 था। अब यदि आपने 2010 में कोई जमीन 10 लाख में खरीदी और उसे 2020 में बेच दिया, तो आयकर विभाग द्वारा उस जायदाद की वर्तमान कीमत 10,00,000×(289/167) = 17,30,400 मानी जाएगी। तो इसी कीमत या इससे ज्यादा कीमत पर जमीन बेचने पर Rs 7,30,000 पर या इससे अधिक पर 20% Long-term Capital Gain टैक्स देना पडेंगा। या फिर ऊपर बताये गये बॉन्ड में 5 साल तक निवेश करना पडेंगा। Cost Inflation Index Table From FY 2001 - 02 To FY 2023 - 24
पूंजीगत लाभ पर कर की दर क्या है ?( Tax Rate on Capital Gain )
- Long Term Capital Gain - 20%
- Short Term Capital Gain - As per Slab Rate
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Stocks पर Capital Gain Tax कैसे लगता है ?
- Section 112 A - इसके अंतर्गत Equity Shares , Equity Oriented Units या Unit of Business Trust के शेयर को Transfer करने पर होने वाले होने वाले Long Term Capital Gain आते है , इस सेक्शन के अंतर्गत 1,00,000 से ज्यादा के Capital Gain पर 10% टैक्स लगता है। हाँ , इन शेयर्स के Acquisition और Transfer पर STT paid किया होना चाहिए। इस सेक्शन पर Chapter - VI और Section 87A के Deduction Allow नहीं होते है।
- Section 111 A - इसके अंतर्गत Equity Shares , Equity Oriented Units या Unit of Business Trust के शेयर को Transfer करने पर होने वाले होने वाले Short Term Capital Gain आते है , इस सेक्शन के अंतर्गत जो भी Capital Gain होता है उस पर 15 % टैक्स लगता है।
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उदाहरण -
राम ने 2001-02 में एक मकान 25 Lakh में ख़रीदा , 2011-12 में इस पर 10 लाख का Innovation करवाया , और वर्ष 2020-2021 में यह मकान कन्हैया को 100 लाख में बेच दिया।
उपरोक्त उदाहरण में राम ने यह मकान 3 वर्ष से ज्यादा समय तक अपने पास रखा , इसलिए यह Capital Gain के अंतर्गत आएगा। अब इस पर Capital Gain निकलते है -
- Full Value of Consideration - 100,00,000
- Less - Index Cost of Acquistion - 25,00,000 X (301 / 100) = 75,25,000
- Less - Index Cost of Innovation - 10,00,000 X (301 / 184) = 16,35,870
- Long Term Capital Gain - 8,39,130
- TAX 20% - 1,67,826
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निचे आपके लिए Cost Inflation Index List दिया गया है , जिससे आप आसानी से कैपिटल गेन टैक्स निकाल सकते है।
COST INFLATION INDEX LIST
Financial Year | Cost Inflation Index |
2001-02 (Base Year) | 100 |
2002-03 | 105 |
2003-04 | 109 |
2004-05 | 113 |
2005-06 | 117 |
2006-07 | 122 |
2007-08 | 129 |
2008-09 | 137 |
2009-10 | 148 |
2010-11 | 167 |
2011-12 | 184 |
2012-13 | 200 |
2013-14 | 220 |
2014-15 | 240 |
2015-16 | 254 |
2016-17 | 264 |
2017-18 | 272 |
2018-19 | 280 |
2019-20 | 289 |
2020-21 | 301 |
2021-22 | 317 |
2022-23 | 331 |
2023-24 | 348 |
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