आयकर सर्वेक्षण के दौरान सरेंडर की गई आय ( Income Tax on surrender value)

आयकर अधिनियम के अंतर्गत हमे किसी एक्ट को समझने के लिए उस एक्ट मे कही हुई बातो का शाब्दिक अर्थ समझना जरुरी है। यहाॅ, लिखे गए सर्वेक्षण शब्द से आम पब्लिक इसके दो अर्थ निकालते है- सर्वेक्षण और रेड।


वास्तव मे यह दो अलग-अलग शब्द है , और आयकर अधिनियम मे भी इसका अर्थ और नियम अलग अलग है।



पहले इनको एक-एक कर के समझते है, जिससे इसके लिए बनाए गए सभी नियमो को समझना आसान हो जायेगा-


1> सर्वेक्षण (Survey)


यह आयकर अधिनियम 134A के अंतर्गत आता है, सर्वेक्षण केवल आपके व्यवसायिक स्थल या पेशे के स्थान पर ही हो सकता है , यह आपके आवासीय स्थान पर तब तक नही हो सकता जब तक यह साबित न हो जाए कि आपका व्यवसायिक दस्तावेज आपके आवासीय स्थान पर भी रखे जाते है। 

सर्वेक्षण केवल कार्य दिवस पर और कार्य के घण्टो पर ही शुरु हो सकता है,  हाॅ,  इसके समाप्त होने की कोई समय निर्धारित नही किया गया है। 

सर्वेक्षण के पश्चात या दौरान आयकर अधिकारी को जब्त करने (Seize) का कोई अधिकार नही होता है। इस दौरान किसी भी व्यक्ति का व्यक्तिगत तलाशी नही ली जा सकती है। और साथ ही आयकर अधिकारी पुलिस की सहायता नही ले सकता है।


2- खोज और जब्ती (छापे) Search & Seizure( RAID)


यह आयकर की धारा 132 के अंतर्गत आता है, यह सम्बंधित अधिकारी के अधिकार क्षेत्र मे किसी भी स्थान या भवन पर छापा मारा जा सकता है,  यह दिन निकलने के पश्चात किसी भी समय मारा जा सकता है, और प्रकिया समाप्त होने तक चल सकता है।

अघोषित सम्पत्ती का पता चलने पर पूरे स्थान की तलाशी ली जा सकती है। सम्पत्ती जब्त की जा सकती है , साथ ही उस परिसर मे मौजूद किसी भी व्यक्ति की व्यक्तिगत तलाशी ली जा सकती है।


अब आपके यहाॅ , यदि सर्वेक्षण किया गया है तो आयकर अधिनियम के तहत, आयकर सर्वेक्षण के दौरान स्वेच्छा से घोषित और सरेंडर की गई आय को अघोषित आय माना जाता है। इसका मतलब है कि इस आय को पहले आयकर रिटर्न में शामिल नहीं किया गया था।

यदि आपके पास आयकर विभाग ने इसके लिए कोई नोटिस जारी किया है,  तो आप सबसे पहले यह देखे कि यह नोटिस किस सेक्शन के अंतर्गत जारी किए गए है। 

यदि आयकर का नोटिस धारा 139 (9) के तहत है तब -

यदि आयकर विभाग को लगता है कि आपके द्वारा दाखिल किया गया रिटर्न दोषपूर्ण है तब आपको इस धारा के अंतर्गत नोटिस दिया जाता है। 


सरेंडर की गई आय पर कटौती या सेट-ऑफ हानि

आमतौर पर, सरेंडर की गई आय पर निम्नलिखित कटौती या सेट-ऑफ हानि स्वीकार्य नहीं होती है:

 * व्यय: 

उस आय के संबंध में किए गए किसी भी व्यय को घटाने की अनुमति नहीं होती है।

 * हानि: 

अन्य स्रोतों से हुई हानियों को सरेंडर की गई आय से सेट-ऑफ नहीं किया जा सकता है।

 * कटौती: 

आयकर अधिनियम के तहत उपलब्ध अन्य कटौतियों का लाभ भी सरेंडर की गई आय पर नहीं मिलता है।

अतिरिक्त दंड और ब्याज

सरेंडर की गई आय पर निम्नलिखित अतिरिक्त दंड और ब्याज लगाया जा सकता है:

 * दंड: 

आयकर अधिनियम के तहत निर्धारित दर से दंड लगाया जा सकता है।

 * ब्याज: 

देय आयकर पर ब्याज लगाया जा सकता है।

क्यों नहीं मिलती हैं कटौतियाँ?

सरेंडर की गई आय को अघोषित आय माना जाता है और इसे छिपाने का प्रयास किया गया था। इसलिए, करदाता को राहत देने के लिए कोई प्रावधान नहीं है।

ध्यान दें: यह जानकारी सामान्य जानकारी है और यह किसी विशेष मामले पर कानूनी सलाह नहीं है। आयकर कानून जटिल हैं और किसी भी विशिष्ट स्थिति के लिए, आपको एक योग्य कर सलाहकार से संपर्क करना चाहिए।

अतिरिक्त जानकारी के लिए, आप निम्नलिखित संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं:

 * आयकर विभाग की वेबसाइट: आयकर विभाग की वेबसाइट पर आयकर अधिनियम से संबंधित विस्तृत जानकारी उपलब्ध है।

 * कर सलाहकार: एक योग्य कर सलाहकार आपको आपके विशिष्ट मामले के बारे में सलाह दे सकता है।

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